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यह नाम डॉक्टर रामदेव त्रिपाठी द्वारा दिया गया एवं वही इसके प्रथम आश्रमाध्यक्ष भी बने। प्राचीन समय की गुरुकुल व्यवस्था में सबसे प्राथमिक तथ्य शांति था। नेतरहाट विद्यालय भी शहर के शोर-शराबे से दूर एक शा...
यह नाम डॉक्टर रामदेव त्रिपाठी द्वारा दिया गया एवं वही इसके प्रथम आश्रमाध्यक्ष भी बने। प्राचीन समय की गुरुकुल व्यवस्था में सबसे प्राथमिक तथ्य शांति था। नेतरहाट विद्यालय भी शहर के शोर-शराबे से दूर एक शांत स्थल पर स्थापित है, जिससे यहां के छात्रों को परम शांति की अनुभूति होती है और वह शांत चित्त से अध्ययनरत रहते हैं। शांति के विषय में ईश्वर से प्रार्थना है: शांति कीजिए प्रभु त्रिभुवन में, जल में,थल में और गगन में, अंतरिक्ष में, अग्नि में, पवन में, औषधि वनस्पति, वन- उपवन में, सकल विश्व के जड़ चेतन में, शांति कीजिए प्रभु त्रिभुवन में।
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संस्कृत भाषा के परमज्ञानी महर्षि कपिल के नाम पर यह स्थापित आश्रम, विद्यालय प्रांगण के रज-रज में महर्षि कपिल की उपस्थिति का अनुभव कराता है तथा समस्त विद्यालय परिवार को उत्साहित करता है। महर्षि कपिल ने ...
संस्कृत भाषा के परमज्ञानी महर्षि कपिल के नाम पर यह स्थापित आश्रम, विद्यालय प्रांगण के रज-रज में महर्षि कपिल की उपस्थिति का अनुभव कराता है तथा समस्त विद्यालय परिवार को उत्साहित करता है। महर्षि कपिल ने संस्कृत के षड्दर्शनों में से एक सांख्य - दर्शन की रचना की जिसमें पदार्थों की रचना आदि की व्याख्या की गई है।
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महर्षि कण्व वैदिक काल के प्रसिद्ध ऋषि थे। इन्हीं के आश्रम में हस्तिनापुर नरेश दुष्यंत की पत्नी शकुंतला एवम् उनके वीर पुत्र भरत का पोषण हुआ था.ऐसा कहा जाता है कि इन्हीं भरत के नाम पर हमारे देश का नाम ...
महर्षि कण्व वैदिक काल के प्रसिद्ध ऋषि थे।
इन्हीं के आश्रम में हस्तिनापुर नरेश दुष्यंत की पत्नी शकुंतला एवम् उनके वीर पुत्र भरत का पोषण हुआ था.ऐसा कहा जाता है कि इन्हीं भरत के नाम पर हमारे देश का नाम भारत पड़ा. सोनभद्र में जिला मुख्यालय से 8 किमी की दूरी पर कैमूर श्रृंखला के शीर्ष स्तर पर स्थित कण्व ऋषि की तपस्थली बताई जाती है जो कंडकोट के नाम से प्रसिद्ध है.
मेरा मानना है कि यह सब उपर्युक्त वर्णित भाव,दर्शन,साहित्य,कला,आध्यात्म और ज्ञान - विज्ञान को आत्मसात कर उस राह पर चलने से ही हो पाया है.
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संस्कृत के प्रकांड विद्वान, महातपस्वी एवं दार्शनिक महर्षि कणाद के नाम पर स्थापित यह आश्रम विद्यालय के कण-कण को पवित्र कर रहा है। महर्षि कणाद ने संस्कृत के षड्दर्शनों में से एक 'वैशेषिक दर्शन' की रचना ...
संस्कृत के प्रकांड विद्वान, महातपस्वी एवं दार्शनिक महर्षि कणाद के नाम पर स्थापित यह आश्रम विद्यालय के कण-कण को पवित्र कर रहा है। महर्षि कणाद ने संस्कृत के षड्दर्शनों में से एक 'वैशेषिक दर्शन' की रचना की जिसमें पदार्थों की रचना, ज्ञान एवं मोक्ष प्राप्ति आदि विषयों का उल्लेख किया गया है।
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प्रदीप शब्द 'प्र' और 'दीप' के योग से बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ होता है-ऐसा दीपक जो अपने सद्गुणों के प्रकाश से पूरे ब्रह्मांड को प्रकाशित कर रहा हो।मैं अपने विचारों को राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की...
प्रदीप शब्द 'प्र' और 'दीप' के योग से बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ होता है-ऐसा दीपक जो अपने सद्गुणों के प्रकाश से पूरे ब्रह्मांड को प्रकाशित कर रहा हो।मैं अपने विचारों को राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की कुछ पंक्तियों से व्यक्त करता हूं।
वह प्रदीप जो दीख रहा है
झिलमिल दूर नहीं है।
थककर बैठ गए क्यों भाई
मंजिल दूर नहीं है।।
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महान दार्शनिक एवं धर्म- सुधारक अरविंद घोष की स्मृति में इस आश्रम का नाम अरविंद रखा गया। अरविंद घोष का जन्म पांडिचेरी में हुआ था। इन्होंने पांडिचेरी में ही निस्सहाय व निर्धन लोगों के लिए औरेविले आश्रम ...
महान दार्शनिक एवं धर्म- सुधारक अरविंद घोष की स्मृति में इस आश्रम का नाम अरविंद रखा गया। अरविंद घोष का जन्म पांडिचेरी में हुआ था। इन्होंने पांडिचेरी में ही निस्सहाय व निर्धन लोगों के लिए औरेविले आश्रम की स्थापना की थी।अरविंद घोष एक दार्शनिक, धर्म - सुधारक होने के साथ-साथ एक अच्छे लेखक भी थे। उनकी कुछ प्रमुख रचनाएं हैं: लाइफ डिवाइन, अति मानव की ओर, एशेज ऑन गीता, सावित्री इत्यादि।
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मां काली के परमभक्त एवं महाज्ञानी रामकृष्ण परमहंस के स्मृति में इस आश्रम का नाम 'रामकृष्ण' रखा गया। उन्होंने अपना जीवन कोलकाता के विख्यात महाकाली मंदिर में व्यतीत किया। स्वामी विवेकानंद इनके सर्वप्रिय...
मां काली के परमभक्त एवं महाज्ञानी रामकृष्ण परमहंस के स्मृति में इस आश्रम का नाम 'रामकृष्ण' रखा गया। उन्होंने अपना जीवन कोलकाता के विख्यात महाकाली मंदिर में व्यतीत किया। स्वामी विवेकानंद इनके सर्वप्रिय शिष्य थे।इन्होंने वर्ष 1897 में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। यह आश्चर्य की बात है कि रामकृष्ण वर्मा इसके प्रथम आश्रमाध्यक्ष बने ।
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प्रख्यात भौतिकी वैज्ञानिक डॉक्टर होमी जहांगीर भाभा के नाम पर इस आश्रम का नाम भाभा आश्रम' खा गया। डॉक्टर भाभा भारत के परमाणु ऊर्जा आयोग के प्रथम चेयरमैन थे। इन्होंने 'कॉस्मिक रेज' तथा 'क्वांटम थ्योरी' ...
प्रख्यात भौतिकी वैज्ञानिक डॉक्टर होमी जहांगीर भाभा के नाम पर इस आश्रम का नाम भाभा आश्रम' खा गया। डॉक्टर भाभा भारत के परमाणु ऊर्जा आयोग के प्रथम चेयरमैन थे। इन्होंने 'कॉस्मिक रेज' तथा 'क्वांटम थ्योरी' पर महत्वपूर्ण कार्य किया था। इन्हीं की देखरेख में भारत का प्रथम 'एटॉमिक रिएक्टर सेंटर' बना जिसका नाम 'भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र' रखा गया जो महाराष्ट्र के ट्राम्बे में स्थित है।साहित्य कला के साथ-साथ नेतरहाट के छात्र वैज्ञानिक चेतना से भी संपन्न होते हैं।
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महान वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस के नाम पर इस आश्रम का नाम बोस रखा गया। दूसरे वैज्ञानिक सत्येंद्रनाथ बोस के नाम को इसमें जोड़ा जा सकता है। इन्होंने बोसोन नामक एलिमेंट्री पार्टिकल की खोज की थी। इनके नाम ...
महान वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस के नाम पर इस आश्रम का नाम बोस रखा गया। दूसरे वैज्ञानिक सत्येंद्रनाथ बोस के नाम को इसमें जोड़ा जा सकता है। इन्होंने बोसोन नामक एलिमेंट्री पार्टिकल की खोज की थी। इनके नाम पर ही इस पार्टिकल का नाम बोसोन (BOSON) रखा गया। इन्होंने आइंस्टीन के साथ मिलकर एक नई सांख्यिकी का प्रतिपादन किया, जो बोस - आइंस्टीन स्टैटिस्टिक्स के नाम से प्रसिद्ध है। इन्हें पद्मभूषण उपाधि से सम्मानित किया गया था।
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भौतिकी के महान वैज्ञानिक डॉक्टर सी वी रमन के नाम पर 'रमण आश्रम' का निर्माण हुआ।इन्हें इनकी खोज 'रमण प्रभाव' के लिए 1930 में भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। इनकी खोज 'रमण प...
भौतिकी के महान वैज्ञानिक डॉक्टर सी वी रमन के नाम पर 'रमण आश्रम' का निर्माण हुआ।इन्हें इनकी खोज 'रमण प्रभाव' के लिए 1930 में भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। इनकी खोज 'रमण प्रभाव' में प्रकाश के प्रकीर्णन का उल्लेख किया गया है।इन्हें वर्ष 1954 ईस्वी में भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था।
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विक्रमशिला विश्वविद्यालय प्राचीन समय के महत्वपूर्ण शिक्षा केंद्रों में से एक था।इसका निर्माण पाल वंश के राजा धर्मपाल ने करवाया था।विक्रमशिला विश्वविद्यालय बिहार राज्य के भागलपुर शहर के समीप कहल गांव म...
विक्रमशिला विश्वविद्यालय प्राचीन समय के महत्वपूर्ण शिक्षा केंद्रों में से एक था।इसका निर्माण पाल वंश के राजा धर्मपाल ने करवाया था।विक्रमशिला विश्वविद्यालय बिहार राज्य के भागलपुर शहर के समीप कहल गांव में स्थित है। यह बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए महत्वपूर्ण शिक्षा का केंद्र था। यहां मेधावी छात्रों को छात्रवृत्ति भी दी जाती थी।नेतरहाट विद्यालय में छात्रों की मेधा को गुरुकुल परंपरा द्वारा तराशा जाता है।
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न अलम् ददाति इति 'नालंदा' -जो सबकुछ दे, ज्ञान के क्षेत्र में। प्राचीन समय में ज्ञान का केंद्र रहा नालंदा विश्वविद्यालय पूरी दुनिया के लिए प्रख्यात शिक्षा का केंद्र था। नालंदा विश्वविद्यालय में दुनिया ...
न अलम् ददाति इति 'नालंदा' -जो सबकुछ दे, ज्ञान के क्षेत्र में। प्राचीन समय में ज्ञान का केंद्र रहा नालंदा विश्वविद्यालय पूरी दुनिया के लिए प्रख्यात शिक्षा का केंद्र था। नालंदा विश्वविद्यालय में दुनिया भर से वेद, वेदांत, सांख्य - दर्शन, एवं चिकित्सा- शास्त्र की शिक्षा हेतु विद्यार्थी आते थे। बहुत हर्ष की बात है कि करीब 800 साल बाद बड़े ही अद्भुत तरीके से नालंदा विश्वविद्यालय का पुनः प्रारंभ हुआ है। नेतरहाट विद्यालय भी नालंदा की ज्ञान ऊर्जा का विस्तार अपने छात्रों के माध्यम से कर रहा है।
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तक्षशिला विश्वविद्यालय के नाम पर आश्रम का नाम रखा गया। प्राचीन उत्तर - पश्चिम भारत में आधुनिक पेशावर के पास तक्षशिला या तक्षिला नामक एक प्रसिद्ध विश्वविद्यालय था,जहां विशेष रूप से विज्ञान चिकित्सा शास...
तक्षशिला विश्वविद्यालय के नाम पर आश्रम का नाम रखा गया। प्राचीन उत्तर - पश्चिम भारत में आधुनिक पेशावर के पास तक्षशिला या तक्षिला नामक एक प्रसिद्ध विश्वविद्यालय था,जहां विशेष रूप से विज्ञान चिकित्सा शास्त्र और कला की शिक्षा दी जाती थी। तक्षशिला का स्नातक होना बहुत सम्मान की बात थी। ईसा पूर्व छठी सातवीं शताब्दी के महान वैयाकरण पाणिनि ने भी यहीं शिक्षा पाई थी।
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कविवर मैथिलीशरण गुप्त भगवती वीणापाणि के उन वरद पुत्रों में से हैं, जिनकी कीर्ति- कौमुदी चतुर्दिक अपनी आभा विकिर्ण कर रही है। गुप्त जी की तो बहुत साहित्यिक रचनाएं हैं, परंतु उनकी कीर्ति का आधार 'साकेत'...
कविवर मैथिलीशरण गुप्त भगवती वीणापाणि के उन वरद पुत्रों में से हैं, जिनकी कीर्ति- कौमुदी चतुर्दिक अपनी आभा विकिर्ण कर रही है। गुप्त जी की तो बहुत साहित्यिक रचनाएं हैं, परंतु उनकी कीर्ति का आधार 'साकेत' ही है। यह महाकाव्य आधुनिक युग के महाकाव्यों में अपना विशिष्ट स्थान रखता है। 'साकेत' का वर्ण्य - विषय रामकथा ही है। 'साकेत' का अर्थ है - वैकुंठ, विष्णु का निवास स्थान।
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यह नाम स्वयं प्रथम प्राचार्य एवं आश्रमाध्यक्ष नेपियर द्वारा दिया गया है। महान सम्राट अशोक जिसके नाम से शायद ही कोई अवगत न हो। एच.जी. वेल्स ने अपनी 'आउटलाइन ऑफ हिस्ट्री' में उसके बारे में लिखा है कि ...
यह नाम स्वयं प्रथम प्राचार्य एवं आश्रमाध्यक्ष नेपियर द्वारा दिया गया है।
महान सम्राट अशोक जिसके नाम से शायद ही कोई अवगत न हो। एच.जी. वेल्स ने अपनी 'आउटलाइन ऑफ हिस्ट्री' में उसके बारे में लिखा है कि बादशाहों के दस हजार नामों में जिनसे इतिहास के पृष्ठ भरे हैं, जिनमें कई बड़े - बड़े राजा महाराजा और नामी-गिरामी शासक शामिल हैं, अशोक का नाम अकेला सितारे की तरह चमक रहा है। अशोक का दूसरा अर्थ भी है- शोकरहित। एक ओर जहां अशोक आश्रम नेतरहाट के छात्रों को सम्राट अशोक की तरह महान बनने की सीख देता है, तो दूसरी ओर विद्यालय को शोकमुक्त रखने की कामना करता है।
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प्रसिद्ध चीनी चिंतक क्वान सू ने अपने शब्दों में कहा है कि - वार्षिक योजना बनाते हुए - अन्न का बीजारोपण करो। दस वर्षीय योजना बनाते हुए- वृक्ष लगाओ जीवन व्यापी योजना बनाते हुए- मनुष्यों को शिक्षित और प...
प्रसिद्ध चीनी चिंतक क्वान सू ने अपने शब्दों में कहा है कि - वार्षिक योजना बनाते हुए - अन्न का बीजारोपण करो। दस वर्षीय योजना बनाते हुए- वृक्ष लगाओ
जीवन व्यापी योजना बनाते हुए- मनुष्यों को शिक्षित और प्रशिक्षित करो। मनुष्य शिक्षित तब होगा, जब उसे किशोरावस्था से ही उत्तम शिक्षा प्राप्त होगी। किशोरों की शिक्षा आवश्यक है क्योंकि किशोर ही भविष्य के निर्माता होते हैं। अतः किशोरों की शिक्षा पर बल देते हुए नेतरहाट विद्यालय में 'किशोर आश्रम' का निर्माण हुआ।
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यह नाम स्व. महेशनारायण सक्सेना श्रीमान जी द्वारा रखा गया है। यह मानव जीवन की चरम आकांक्षा का नाम है। मनुष्य की सर्वश्रेष्ठ उपलब्धियों की परिणति का नाम है आनंद। यहां तक कि परमेश्वर की कल्पना भी हमारे म...
यह नाम स्व. महेशनारायण सक्सेना श्रीमान जी द्वारा रखा गया है। यह मानव जीवन की चरम आकांक्षा का नाम है। मनुष्य की सर्वश्रेष्ठ उपलब्धियों की परिणति का नाम है आनंद। यहां तक कि परमेश्वर की कल्पना भी हमारे मनीषियों ने सत् - चित् आनंद के रूप में की है। यह संयोग ही है कि जयशंकर प्रसाद विरचित प्रख्यात 'कामायनी' के आनंद सर्ग की अंतिम कुछ पंक्तियां इस प्रकार है:
समरस थे जड़ या चेतन, सुंदर साकार बना था।
चेतनता एक विलसती, 'आनंद' अखंड घना था।।
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महाभारत काल के महान धनुर्धर अर्जुन के नाम से शायद ही कोई अनभिज्ञ हो। पाण्डु व कुंती पुत्र अर्जुन महाभारत युद्ध के सर्वश्रेष्ठ योद्धा थे। अर्जुन वीरता और शौर्य का प्रतीक है। नेतरहाट के छात्र भी अर्जुन ...
महाभारत काल के महान धनुर्धर अर्जुन के नाम से शायद ही कोई अनभिज्ञ हो। पाण्डु व कुंती पुत्र अर्जुन महाभारत युद्ध के सर्वश्रेष्ठ योद्धा थे। अर्जुन वीरता और शौर्य का प्रतीक है। नेतरहाट के छात्र भी अर्जुन की तरह ही एकाग्र होकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सतत प्रयत्नशील रहते हैं। महाभारत-युद्ध में अर्जुन के सारथी भगवान श्री कृष्ण थे। उसी तरह नेतरहाट के छात्रों के मार्गदर्शक यहां के विद्वान शिक्षकगण हैं।
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प्रेम एक ऐसा भाव है, जिसकी व्याख्या करने की क्षमता मेरी लेखनी में नहीं। प्रेम जीवन की अद्भुत शक्ति है तथा इसके बिना जीवन निस्सार है। रामनरेश त्रिपाठी के शब्दों में प्रेम की महिमा सुनिए: प्रेम...
प्रेम एक ऐसा भाव है, जिसकी व्याख्या करने की क्षमता मेरी लेखनी में नहीं। प्रेम जीवन की अद्भुत शक्ति है तथा इसके बिना जीवन निस्सार है। रामनरेश त्रिपाठी के शब्दों में प्रेम की महिमा सुनिए:
प्रेम स्वर्ग है, स्वर्ग प्रेम है, प्रेम अशंक अशोक।
ईश्वर का प्रतिबिंब प्रेम है, प्रेम हृदय आलोक।।
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अरुण अर्थात लालिमा या उषाकाल के समय सूर्य की लालिमा ली हुई मनोरम छटा। नेतरहाट खासकर सूर्योदय की विहंगम एवं सूर्यास्त की नयनाभिराम छटा के लिए प्रसिद्ध है। नेतरहाट विद्यालय भी इसी अरुणाभा में जागृत होता...
अरुण अर्थात लालिमा या उषाकाल के समय सूर्य की लालिमा ली हुई मनोरम छटा। नेतरहाट खासकर सूर्योदय की विहंगम एवं सूर्यास्त की नयनाभिराम छटा के लिए प्रसिद्ध है। नेतरहाट विद्यालय भी इसी अरुणाभा में जागृत होता है। यहां अरुण नाम से एक आश्रम का निर्माण हुआ जिससे ज्ञान का अरुणोदय चहुंदिश हो सके। प्रसिद्ध कवि गजानन माधव मुक्तिबोध ने अपनी प्रसिद्ध कविता 'अंधेरे में' में अरुण कमल की कामना करते हुए लिखा है:
पहुंचना होगा दुर्गम पहाड़ों के उस पार
तब कहीं देखने मिलेंगी सांसें
जिसमें कि प्रतिपल कांपता रहता
'अरुण कमल' एक।
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