By Deepak Netarhatwala on Monday, 10 August 2020
Category: Poetry

सियाचिन से

सुना है कि सियाचिन से आने वाली खबरें

अक्सर धड़कन नहीं मौत लिए आती है..

जहाँ लम्बे समय तक जिंदा रह पाता है

केवल लद्दाखी कौव्वा..!

ये भी सुना कि यदि जाए कोई आदमी

चाहे वह हिंदुस्तान का हो पाकिस्तान का

फेफड़ों में पानी भर आता है उसके;

सुना कि वहाँ दाह-संस्कार की भी जरूरत नहीं

चुपचाप दफन हुए उन लाशों को बर्फ की चादरें

तुरंत ढाँक लिया करती हैं,

सुना बड़ा संवेदनशील इलाका है

गोली-बारी होती रहती है,

या तो गोली से या फिर बर्फ की चोली से,

मरता है अंततः दोनों देशों का सबसे

वफादार आदमी...!

वहाँ लड़ने वाले दोनों कौम के रहनुमाओं

आओ न हम आपस में विमर्श करके वहाँ से कट लेते हैं..

न तुम वहाँ आओगे न मैं वहाँ जाउंगा,

आपस लड़ लिया करेंगी वो आदमखोर बर्फें

फिर न तुम्हारी माँ रोएगी ना मेरी...। 

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